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पत्नी घूम रहे थे बेलगाम हो बन गलियों में छुट्टा मन लालचाये देख सुनहरा उड़ता हुआ दुपट्टा परेशान हो रब ने बाँधा आज एक खूँटे से.
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पत्नी घूम रहे थे बेलगाम हो बन गलियों में छुट्टा मन लालचाये देख सुनहरा उड़ता हुआ दुपट्टा परेशान हो रब ने बाँधा आज एक खूँटे से जिससे दूर नहीं जा सकते अपने बल बूते से उसके चारो तरफ घूमना मजबूरी है अपनी कोई कहता है घरवाली कोई कहता पत्नी बेखुद गलत राह चलने से हरदम हमें बचाती कभी नाचती खुद ऊँगली पर हमको कभी नचाती ©Sunil Kumar Maurya Bekhud
Sunil Kumar Maurya Bekhud
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