"पहाड़ों में जीना है कुछ खास,
जहाँ मैदानों में जलती है आग, यहाँ बसी है जन्नत का एहसास।
बर्फ़ की सफेदी में छुपा है खुदा का कमाल,
नीले आसमान में जैसे खुदा का ख्वाब हो बेमिसाल।
देवदार की खुशबू, हवा में ताजगी का पैगाम,
हर कदम पर महसूस हो जैसे वादियों का सलाम।
दूधिया झरने, जैसे रूह में समाई हो ताजगी का जादू,
हर नजर में बसी हो सुकून की छांव का ख्वाब, धरती पर हो स्वर्ग का राज।
सेब की मिठास, अखरोट-बादाम का स्वाद,
खुमानी का रंग, चिलगोज़े की महक, यही है पहाड़ों की सौगात।
सड़कों पर बर्फ़ की चादर, खामोशी का किनारा,
ये देवों की भूमि, जहाँ जन्नत की रौशनी बसी है, एक आशीर्वाद का इशारा।
गर्म इलाकों से कहीं बेहतर ये ठंडे स्थान,
यहाँ हर मौसम में बसी है शांति और ठंडी शान।
नसीब नहीं हर किसी को ये सुकून की चाह,
यह सफर है खास, जिसे मिलती ये राह।
©नवनीत ठाकुर
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