वह इतना ऊंचा देखते हैं मैंने कोशिश की और ठिठक गया उन जैसा कुछ कर ना सका यादों के भंवर में ही उलझ गया।।- मोहन सरदारशहरी ©Mohan Sardarshahari ठिठकन.
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