// मेरी मोहब्बत का यही ये आख़िरी पड़ाव है // कि मैं जब रोऊँ तो तुझे कोई आहट न हो, मैं मुस्कुराउं झूठा और तुझसे कोई बनावट न हो, मैं दर्द लाख रखूँ अपने इस सीने मे.
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