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नशा निकल नहीं सकता कोई यदि चंगुल में फँसा मौत बाँटती शौक से जो करता है नशा कहती है ये दुनिया से मेरे अंदर जहर.
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नशा निकल नहीं सकता कोई यदि चंगुल में फँसा मौत बाँटती शौक से जो करता है नशा कहती है ये दुनिया से मेरे अंदर जहर दौड़ रँगों में करती हूँ धीरे धीरे अशर मेरी नशीली आँखों के लाखों हैं दीवाने मेरे प्यार में डूबकर जाती उनकी जानेँ कर देती बर्बाद मैं बेखुद घर परिवार फिर मेरे ईश्क में दुनिया है लाचार ©Sunil Kumar Maurya Bekhud
Sunil Kumar Maurya Bekhud
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