नशा निकल नहीं सकता कोई यदि चंगुल में फँसा मौत बाँट | हिंदी कविता

"नशा निकल नहीं सकता कोई यदि चंगुल में फँसा मौत बाँटती शौक से जो करता है नशा कहती है ये दुनिया से मेरे अंदर जहर दौड़ रँगों में करती हूँ धीरे धीरे अशर मेरी नशीली आँखों के लाखों हैं दीवाने मेरे प्यार में डूबकर जाती उनकी जानेँ कर देती बर्बाद मैं बेखुद घर परिवार फिर मेरे ईश्क में दुनिया है लाचार ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 नशा
निकल नहीं सकता कोई
यदि चंगुल में फँसा
मौत बाँटती शौक से
जो करता है नशा

कहती है ये दुनिया से
मेरे अंदर जहर
दौड़ रँगों में करती हूँ
धीरे धीरे अशर

मेरी नशीली आँखों के
लाखों हैं दीवाने
मेरे प्यार में डूबकर
जाती उनकी जानेँ

कर देती बर्बाद मैं
बेखुद घर परिवार
फिर मेरे ईश्क में
दुनिया है लाचार

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

नशा निकल नहीं सकता कोई यदि चंगुल में फँसा मौत बाँटती शौक से जो करता है नशा कहती है ये दुनिया से मेरे अंदर जहर दौड़ रँगों में करती हूँ धीरे धीरे अशर मेरी नशीली आँखों के लाखों हैं दीवाने मेरे प्यार में डूबकर जाती उनकी जानेँ कर देती बर्बाद मैं बेखुद घर परिवार फिर मेरे ईश्क में दुनिया है लाचार ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#नशा@कविता

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