तुम मेरे वो गुलाब हों कि मेरे मदहोश सपनों का एक अनमोल ख्वाब हो तुम, तेरे अंगों की एक-एक पत्ती ऐसे महकती है जो कभी न उतरने वाली शराब हों तुम! डीयर आर एस आज़ाद.
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