शदीद इतना रहा इंतेजार मुझे, कि वक़्त मिन्नतें करता रहा गुजार मुझे.. चला मैं रुठ कर आवाज़ नहीं दी उसने, मैं दिल में चीख कर कहता रहा पुकार मुझे..! ©Khan Sah.
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