शांत दिखने वाला सागर बहुत बैचैन है लहरों का आना-जाना यूंही चलता है लेकिन सागर के भीतर इक मंथन सदा चलता है जरूरी नहीं हर दम अमृत निकले अमृत के साथ विष भी निकलता.
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