शांत दिखने वाला सागर बहुत बैचैन है लहरों का आना-जा | हिंदी कविता

"शांत दिखने वाला सागर बहुत बैचैन है लहरों का आना-जाना यूंही चलता है लेकिन सागर के भीतर इक मंथन सदा चलता है जरूरी नहीं हर दम अमृत निकले अमृत के साथ विष भी निकलता है लेकिन हर बार विष पीने के लिये नीलकंठ शिव कहां मिलता है ©Beena Kumari"

 शांत दिखने वाला सागर बहुत बैचैन है
लहरों का आना-जाना यूंही चलता है
लेकिन सागर के भीतर 
इक मंथन सदा चलता है
जरूरी नहीं हर दम अमृत निकले
अमृत के साथ विष भी निकलता है
लेकिन हर बार विष पीने के लिये
नीलकंठ शिव कहां मिलता है

©Beena Kumari

शांत दिखने वाला सागर बहुत बैचैन है लहरों का आना-जाना यूंही चलता है लेकिन सागर के भीतर इक मंथन सदा चलता है जरूरी नहीं हर दम अमृत निकले अमृत के साथ विष भी निकलता है लेकिन हर बार विष पीने के लिये नीलकंठ शिव कहां मिलता है ©Beena Kumari

कविताएं

People who shared love close

More like this

Trending Topic