चाँदनी के ख़ातिर ये चांद आज कुछ बड़ा है,
तारों के
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 चाँदनी के ख़ातिर ये चांद आज कुछ बड़ा है,
तारों के बीच अकेला वो मंद हांस से खड़ा है।

पूर्णिमा का साथ भी चंद्रमा को पूर्ण मिला था,
उसे पाने के लिए वो गर्दिशों से बहुत लड़ा है।

बूँदों की भी ख्वाहिश नियाज़ बारिश बनने थी,
दहलीज पर कदम रख तुमने खुशियो से जोड़ा है।

वापस लौट पक्षियों का शजर पर ही होता बसेरा है,
जैसे चाँदनी ने इस रात छेड़ा हो मधुर राग सुहाना है।

©ajaynswami

चाँदनी के ख़ातिर ये चांद आज कुछ बड़ा है, तारों के बीच अकेला वो मंद हांस से खड़ा है। पूर्णिमा का साथ भी चंद्रमा को पूर्ण मिला था, उसे पाने के लिए वो गर्दिशों से बहुत लड़ा है। बूँदों की भी ख्वाहिश नियाज़ बारिश बनने थी, दहलीज पर कदम रख तुमने खुशियो से जोड़ा है। वापस लौट पक्षियों का शजर पर ही होता बसेरा है, जैसे चाँदनी ने इस रात छेड़ा हो मधुर राग सुहाना है। ©ajaynswami

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