ये उदासी शायद मेरी मुकद्दर हो। हो न हो ये गम खुशी से बेहतर हो। मंदिर जाऊंगा तो छू कर देखूंगा। शायद खुदा सच मुच में पत्थर हो। मुझसे हक़ीक़त कहो या फसाना। मेरे.
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