White वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता,
दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता।
खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं,
हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।
इश्क़ सिर्फ कहानी सा लगता है,
ग़म अब निशानी सा लगता है।
कौन चाहता है ज़ख्मों को भरना,
दर्द-ए-दिल अब रूहानी सा लगता है।
आँखों में न कोई ख्वाब अब बाकी है,
दिल का हर कोना खाली सा लगता है।
जिनसे उम्मीदें थीं, वो पराये निकले यारो,
ज़िंदगी भी अब तूफानी सा लगता है।
हर राह में बस सन्नाटा सा है,
हर कदम पर धोखे का साया सा है।
जिनसे दिल लगाया, वही दूर निकले,
अब हर रिश्ता अफ़साना सा है।
इश्क़ अब सिरफिरा सा खेल लगता है,
हर कदम पर ये जाल सा बिछता है।
फिर भी दिल क्यों लौट जाता है वहीं,
जहाँ हर दर्द अब रूहानी सा लगता है।
©theABHAYSINGH_BIPIN
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here