मैंने खामोशी से सब देखा है वो झुकी बादलों की छाओ जो मेरे हाथों को छू जाती है, बेपाक सी दर्द जो हर बार उभर कर आ जाती है मेरे मुस्कान में, वो सिमटी सी हाथों की लक.
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