मैंने खामोशी से सब देखा है वो झुकी बादलों की छाओ जो मेरे हाथों को छू जाती है, बेपाक सी दर्द जो हर बार उभर कर आ जाती है मेरे मुस्कान में, वो सिमटी सी हाथों की लकीरें जो बदलना तो चाहती है पर न जानें क्यों, एक अनकहे पल के इंतजार में रूक सी जाती है।
©PoOjA TripAthi..