मैं हारा हर दर पर बस उन्हें मांगकर , मेरी मन्नतों के धागे अब गट्ठर मे बदल गए । जिनपर हम निछावर हुए इक उम्र हारकर , वक्त बेवक्त ओ सब बदल गए ।। ©Abhishek Pande.
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