कभी बिना कविता के, प्रेम का इजहार क्यूं नहीं करते? क्या हर भाव को, कविता में पिरोना जरूरी है ? हां जरूरी है, क्यूंकि यही मेरे भावों का, शुद्धतम रूप है।.
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