दाँव पेंच राजनीति, जनता क्यों मुहाल है , फंद लोभ लालसा के, छिड़ा घमासान है। अयोध्या हो गतिमान, झेले वर्षों संघर्ष जो, साध के प्रयास सांँझे.
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