दाँव पेंच राजनीति,
जनता क्यों मुहाल है ,
फंद लोभ
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#कविता  

दाँव पेंच राजनीति,
जनता क्यों मुहाल है ,
फंद लोभ लालसा के,
छिड़ा घमासान है।

अयोध्या हो गतिमान,
झेले वर्षों संघर्ष जो,
साध के प्रयास सांँझे
श्री विराजमान हैं ।

महा धर्म है भारती,
सत्य कर्म निभाते जो,
अवध लला श्री राम,
सदा पहचान हैं।

राम चरित मानस,
मान्य वरदान सदा ,
देश का अभिमान है,
मोदी मही शान हैं ॥

©अलका गुप्ता 'भारती'

दाँव पेंच राजनीति, जनता क्यों मुहाल है , फंद लोभ लालसा के, छिड़ा घमासान है। अयोध्या हो गतिमान, झेले वर्षों संघर्ष जो, साध के प्रयास सांँझे श्री विराजमान हैं । महा धर्म है भारती, सत्य कर्म निभाते जो, अवध लला श्री राम, सदा पहचान हैं। राम चरित मानस, मान्य वरदान सदा , देश का अभिमान है, मोदी मही शान हैं ॥ ©अलका गुप्ता 'भारती'

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