अधूरी किताब के पन्नो में गुम हूं है अल्फाज बहुत पर मैं मोन हूं जगह बहुत है पर दायरे में बंद हूं आंखो में दर्द छुपा मन में नम हूं है सब साथ कहने को तो पर मैं अपन.
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