गगन नाचता, पवन नाचता, यों सारा संसार नाचता मैं कवि हूँ, मेरे गीतों में घुँघरू बाँध प्यार नाचता ! सबको नाच नचाने वाला खुद भी करता है ता थैया; पैरों पर नाचे वृन्.
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