मैं तेरे दीदार के लिए जब भी तेरी गली में आता हू,
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मैं तेरे दीदार के लिए जब भी तेरी गली में आता हू, आहट पहचान कर तू हर बार खिड़की खोल लेती है । मैं नज़र उठाकर तुझे देखता हू तू धीरे से मुस्कुराती हैं, और इस तरह से तू मुझे अपने दिल का हाल बताती हैं । मिलने की चाह तुझे भी है कि कभी तो रूबरू होंगे हम तुम, पर ज़माने के डर से तू हमेशा कुछ कदम पीछे हट जाती है। फिर हवा के झोंकें से जो तेरी वो एक लट उड़ जाती है, तेरी कसम उस पल में मेरे लिए ज़िन्दगी रूक जाती है। ©Anubhav Sharma

 मैं तेरे दीदार के लिए जब भी तेरी गली में आता हू, 
आहट पहचान कर तू हर बार खिड़की खोल लेती है ।
मैं नज़र उठाकर तुझे देखता हू तू धीरे से मुस्कुराती हैं, 
और इस तरह से तू मुझे अपने दिल का हाल बताती हैं ।
मिलने की चाह तुझे भी है कि कभी तो रूबरू होंगे हम तुम, 
पर ज़माने के डर से तू हमेशा कुछ कदम पीछे हट जाती है।
फिर हवा के झोंकें से जो तेरी वो एक लट उड़ जाती है,
तेरी कसम उस पल में मेरे लिए ज़िन्दगी रूक जाती है।

©Anubhav Sharma

मैं तेरे दीदार के लिए जब भी तेरी गली में आता हू, आहट पहचान कर तू हर बार खिड़की खोल लेती है । मैं नज़र उठाकर तुझे देखता हू तू धीरे से मुस्कुराती हैं, और इस तरह से तू मुझे अपने दिल का हाल बताती हैं । मिलने की चाह तुझे भी है कि कभी तो रूबरू होंगे हम तुम, पर ज़माने के डर से तू हमेशा कुछ कदम पीछे हट जाती है। फिर हवा के झोंकें से जो तेरी वो एक लट उड़ जाती है, तेरी कसम उस पल में मेरे लिए ज़िन्दगी रूक जाती है। ©Anubhav Sharma

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