--दर्द वाला इश्क़-- मुक़द्दर आजमाया न जाएगा अब कहीं, ये दिल लगाया न जाएगा अब कहीं। यक़ीन का आख़िरी दरख़्त भी गिर गया, प्यार का फूल खिलाया न जाएगा अब कहीं। हुस्न,बद.
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