मैंने लिख दिया है उसे, अब परवाह नही।
क्या फर्क पड़ता किसी का है, मेरा नही।
कोई उसे अपना कहे साथ रहे तो रहे भला
जो मेरा है लफ्ज में है, किसी ओर का नही।
किसी ने दिया तोहफे वारिस पाया जहाँ में
मैंने कह दिया तू मेरा है, तू भले मिला नही।
उसके जिस्म को रखता है पहरे में नासमझ
रूह तो सिर्फ मेरी, जिसे किसी ने छूआ नही।
फासला रखता है उसे यकीन नही खुद पर
रोज मिलता है वह मुझे, कोई शिकवा नही।
किसी सेर पर होगी गुफ़्तगू सावन से उसकी
पूछ ही लूँगा तुझे मेरा ख्याल जरा भी नही।
©Shravan Solanki
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