परवाह है तुम्हारी, हमेशा रहेगी,
जताने को करनी हो नुमाइश, ये ज़रूरी तो नहीं!
रिश्ता बनाया है, तो दिल से निभाएंगे,
रिश्ता निभाने की हो आजमाइश, ये ज़रूरी तो नहीं!
गैरों की भीड़ में अपना बनाने की,
तुम्हारी मुझ ही पर हो नवाज़िश, ये ज़रूरी तो नहीं!
तुम दूर ही सही, लेकिन खुश रहो,
हर पल साथ रहने की पूरी हो ख्वाहिश, ये ज़रूरी तो नहीं!
तुम खुश हो तुम जैसा एक दोस्त पाकर,
हमेशा मेरे दोस्त रहने की मेरी हो फरमाइश, ये ज़रूरी तो नहीं!
दोस्ती को पा कर भी न पाया, तो क्या?
दिल में दुश्मनी की हो गुंजाइश, ये ज़रूरी तो नहीं!
©Nikita Kumari
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