बस नज़रिए की बात है!
कोई डूबते सुरज को अंधेरा समझता है,
तो कोई उगते चांँद को नया उजाला!
किसी के लिए है आधा भरा,
तो किसी के लिए है खाली आधा प्याला!
किसी को दोस्तों का साथ नहीं,
तो कोई दोस्तों के बीच भी अकेला है!
कोई भीड़ में रहकर भी तन्हा हैं,
तो किसी की तन्हाई, खुद ही में मेला है!
©Nikita Kumari
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