.........मोबाइल.......📱📱📱
मोबाइल के इस दौर में रिश्ते सिमट के रह गए
जो भी यादेँ थी मेमोरी में सेव होते चले गए
प्रत्यक्ष बातें होना बड़ी हो गयी
अप्रत्यक्ष बातें करना ही अब ज़िंदगी हो गयी
घर में सबके पास मोबाइल हो गया
आजकल घर में भी बात करना दुश्वार हो गया
मोबाइल ही ज़िंदगी है,या ज़िन्दगी ही मोबाइल
अब तो मोबाइल देख के ही आती है स्माइल
हम अपने दर्द ,और खुशी स्टेटस में लगा लेते हैं
अपने मन की बात स्टेटस से ही जता लेते है
सब काम अब मोबाइल करने लगा
मानो या न मानो मोबाइल ही अपनों से दूर करने लगा
©Richa Dhar
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