अपने सुर्ख लबों को और सजाया ना करो,
हम यूँ ही इन्हें देखकर मदहोश हो जाते हैं।
अता की है खुदा ने तुम्हें बेमिसाल खूबसूरती,
हम तो इन्हीं में हर लम्हा खो जाया करते है।
आओ जब भी हम से मिलने फुर्सत में आना,
तुम्हारे पास बैठ कर तुम्हें निहारना चाहते हैं,
तुम करती रहना हमसे बस मीठी मीठी बातें,
हम तो सिर्फ तुम्हारी बातें सुनना चाहते है।
काली रेशमी घनी जुल्फों को यूं बांधा ना करो,
हम तो इनके साये में हर लम्हा जीना चाहते है।
बांधना ही है तो बांध लो अपनी जुल्फों से हमें,
हम तो बस तुम्हारी गिरफ्त में रहना चाहते है।
✍सुमित मानधना 'गौरव', सूरत 😎
©SumitGaurav2005
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