एक रंग देखा सौ रंग देखे पर किसी रंग में वो बात नही। जब से चढ़ा मुझपर रंग है तेरा दूजा रंग कोई याद नही। जिस कैनवास पर तुम ना उकरो उसे निहारूं न फूटी आंख से भी। ज.
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