तू अगर साहिल, हम तेरी लहरें,
तेरे कदमों में सिर झुकाते हैं।
तेरे इशारों पे बहते दरिया,
तेरी राहों में खुद को बहाते हैं।
तू अगर बारिश, हम हैं धरती,
तेरी बूँदों में रंग सजाते हैं।
तेरी ठंडक से बढ़ती ताजगी,
तेरे एहसास से खिलखिलाते हैं।
तू अगर दीपक, हम हैं बाती,
तेरी लौ से हम जलते जाते हैं।
तेरे उजालों से रोशन जहाँ,
हम अंधेरों को भूल जाते हैं।
©नवनीत ठाकुर
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