#BlackDay ऐसी बरसात हैं की
सूखे भीग गए
कुछ बाहर भीग गए ,
कुछ अंदर में भीग गए
कुछ काम के कागज़
जेबों के साथ भीग गए
तो कुछ चिट्ठियां और खत
आंखों ने लिखे थे
#BlackDay तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहाँ रक्खूँगा ये गिरे गुम्बदो मीनार कहाँ रक्खूँगा
मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे सोच! इसमे भला हथियार कहाँ रक्खूँगा
अपने बच्चों से हर एक जुल्म छुपा लूंगा, मगर छः दिसंबर! तेरे अख़बार कहाँ रक्खूँगा..?Santosh Narwar Aligarh Sudha Tripathi @Sethi Ji@Aryan Shivam Mishra निज़ाम खान
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