Ek अजनबी se comfortable dost तक का सफ़र तय किया था हमने..
ek गलतफ़हमी ने sab खत्म कर दिया..।
wo बातें जो सिर्फ tujhse share किया था , सब ग़ैरों से सुना.. ।
दोस्त था ना तु मेरा ,तु मुझसे बात तो करता..
tere liye तेरे अपने हज़ार थे ,मुझपे थोड़ा भरोसा तो करता..।
चलो भरोसा na सही पर ,दोस्ती का maan तो रखता..
यूँ खुद को अच्छा बताने में ,मुझे बदनाम तो ना करता..।
tere लगाये हर इलज़ाम ,बड़े ख़ामोशी से सुना मैंने..
अब और kuchh na kahna ,बहुत सहा है मैंने..।
तुम्हारे बदल जाने का अफ़सोस तो था, पर..
tu इतना गिरा हुआ निकलेगा yeh नहीं सोचा था..।
काश.. tu वही होता जो tumne btaya था par..
तु to wo निकला जो तुमने छुपाया था..।🙂😊
©Poetry with gupta sonam
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