मन की भाषा को मैं अधरों से ना बोलूंगा, हृदय में दमन है कई राज़.... उन राज़ो को किंचित ना मैं खोलूंगा , ज़ज्बात पिरोए है मैंने , अल्फाज़ संजोए है मैंने , ख्वाब.
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