मन की भाषा को मैं अधरों से ना बोलूंगा,
हृदय में दमन है कई राज़....
उन राज़ो को किंचित ना मैं खोलूंगा ,
ज़ज्बात पिरोए है मैंने ,
अल्फाज़ संजोए है मैंने ,
ख्वाब बुने है कई मैंने ,
याद बने है कई मेरे ...
यूं यादों मे खों कर ही
ख़ुद को ढूँढ रहा हूँ मैं ।
अन्तर्मन के प्रश्नों के
उत्तर ढूँढ रहा हूँ मैं...
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©Karanjeet Sawariyan
अन्तर्मन के प्रश्नों के
उत्तर ढूँढ रहा हूँ मैं...
by @KaranjeetSawariyan