Shadow
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#कविता #Shadow  ਇਕ ਆਮ ਮਨੁੱਖ ਅਪਣੀ ਜਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਜਾਦਾ ਖੁਸ਼ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ 

ਪਰ ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਉਹ ਧਰਮੀ ਬਣਦਾ ਹੈ ਉਸਦੇ ਮਨ ਵਿੱਚ
 ਦੂਜਿਆ ਪ੍ਰਤੀ ਈਰਖਾ, ਨਫ਼ਰਤ, ਭੇਦਭਾਵ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ


gurjant Ganganagar..






























.

©ਗੁਰਜੰਟ ਗੰਗਾਨਗਰ 🖋

#Shadow #

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#शायरी #election_2024 #नज़्म #अपने #IPL2024 #PM  यहाँ कौन कितना अच्छा है..! 
ये बुरा वक़्त सब बताता है..!! 

किताब हर्गिज़ सिखा नहीं सकती..!
धोखा वो बात भी सिखाता है..!! 

टूट जाते हैं पहाडों से हौसले वाले..! 
वक्त कभी इस क़द्र भी सताता है..!!

गैर तो हालात पे हंस सकते हैं..!
अपना ही होता है जो रुलाता है..!!

कभी नीलाम होने लगे गर घर..! 
बोली पहले कोई अपना ही लगाता है..!!

©Abd

#अपने #शायरी #नज़्म #election_2024 #PM #MP Kapil Nayyar Sushika Musafir

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#कविता #Shadow  
शीर्षक:-परछाई 

कभी ये हंसाती,कभी रूलाती हैं,
इसका मन से अद्भुत मेल है।
उजाले में कला की बेजोड़ प्रतिभा,
परछाई का भी अजीब खेल है।।

कभी मन उदास होता है,
तो उजाला बेरंग सा लगता हैं।
किसी के आने की दस्तक, 
छाया का रूप ले उमंग भरता है।
तब ऐसा लगता हैं मानों,
अपनों के आने की आहट है।
सच में वो चमत्कार ही है,
पर उसमें कुछ घबराहट भी है।

कुछ देर में मेरे अपने समक्ष आए,
ऐसा दृश्य प्रकृति का तालमेल है।
उजाले में कला की बेजोड़ प्रतिभा,
परछाई का भी अजीब खेल है।।

परछाई की आकृतियां अनेक है,
ये अजीबो गरीब दिखाई देती है।
इंसान का जीवन भी इनमें घिरा है,
ये जीवन की तस्वीर बयां करती हैं।
देह की छाया प्रतीत होती हैं ये,
पर आइना है ज़िंदगी का।
लुक्का छुपी करती है ये हम से,
पर उदाहरण है सादगी का।

सभी पर अधिकार जताती है,
इसका रिश्ता बड़ा घालमेल हैं।
उजाले में कला की बेजोड़ प्रतिभा,
परछाई का भी अजीब खेल है।।

©Satish Kumar Meena

#Shadow परछाई

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#Shadow  Parchai kuch aise dikhi 
Boli tu jaha main waha
Tu kyu ghabrata hai
Agar na de koi sath
Main to hu 
Koi aur sath chle ya na chle
Koi Tera wishwash kare 
Ya na kare
Tu ghabrana nahi 
Bagal mein dekh lena muje
Khadi paugi sath tere...
😊😊😊

©Mmm malwinder

#Shadow

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आज दिल फिर बेबस हुआ है किसी का छोड़ चला साथ कोई अपनों का संग यादें भी वो अपने ले चला आज टूटा किसी का सपना तो छूट गया पीछे कोई अपना हाथों में हाथ थामकर हुआ करते थे कईं कसमें वादे मगर शायद कसर कोई बाकी रह गई थी शायद खुदा को कुछ और मंजूर था उम्मीदें बस उम्मीदें बन कर रह गई और छूट गये पीछे कईं सवाल बेहिसाब बातों से होता अब मन बेहाल बदल चुका था अब सब कुछ जैसे झकझोर दिया हो जिंदगी ने चारों ओर सूनापन सा छा गया कुछ ऐसा पल आया उस जिंदगी में आज दिल फिर बेबस हुआ है किसी का सुकून जैसे कहीं जा चुका था हंसी ठिठोलियों के दरमियां न जाने कहां से कोई गम अब आ चुका था मेरे "शब्द" बयां करते उस मंजर को मेरे "शब्द" बयां करते उस "दुनिया" को जहां दर्द की एक अलग परिभाषा है जहां दर्द को माना नहीं जाता केवल दर्द जिंदगी तबाह हो जाती जिनकी असल में वहीं समझता उस दर्द को इस अनिश्चित दुनिया के दस्तूर को आंसुओं और बेबसी के सहारे कड़वा घूंट समझ कर बस पी जाता वह उस दर्द को ©Gaurav Soni

#Shadow  आज दिल फिर बेबस हुआ है किसी का
छोड़ चला साथ कोई अपनों का
संग यादें भी वो अपने ले चला
आज टूटा किसी का सपना
तो छूट गया पीछे कोई अपना 
हाथों में हाथ थामकर
हुआ करते थे कईं कसमें वादे
मगर शायद कसर कोई बाकी रह गई थी
शायद खुदा को कुछ और मंजूर था
उम्मीदें बस उम्मीदें बन कर रह गई
और छूट गये पीछे कईं सवाल
बेहिसाब बातों से होता अब मन बेहाल
बदल चुका था अब सब कुछ 
जैसे झकझोर दिया हो जिंदगी ने
चारों ओर सूनापन सा छा गया
कुछ ऐसा पल आया उस जिंदगी में
आज दिल फिर बेबस हुआ है किसी का
सुकून जैसे कहीं जा चुका था
हंसी ठिठोलियों के दरमियां
न जाने कहां से कोई गम अब आ चुका था
मेरे "शब्द" बयां करते उस मंजर को
मेरे "शब्द" बयां करते उस "दुनिया" को
जहां दर्द की एक अलग परिभाषा है
जहां दर्द को माना नहीं जाता केवल दर्द
जिंदगी तबाह हो जाती जिनकी
असल में वहीं समझता उस दर्द को
इस अनिश्चित दुनिया के दस्तूर को
आंसुओं और बेबसी के सहारे
कड़वा घूंट समझ कर 
बस पी जाता वह उस दर्द को

©Gaurav Soni

#Shadow

12 Love

#लोकतंत्र #politicians #loktantra #Shadow  घोंसलों से झाँकते
तरुणाई पार करते चूजे
भर रहें हवा डैनों में,
भय है कि -
आचार-विचार- प्रचार का
 घालमेल
गिरा न दे उन्हें कर लथपथ ,
हर दिशा में
नेताओं के अचकन से 
निकल रहें बाहर
लोकतंत्र के षड्यंत्री विषधर ।

©Gunjan Agarwal
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