कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी, उत्सव भारी होय..
बाबा भैया के दरबार से,खाली न जाए कोय !
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जिसने जो माँगा मिला बाबा के दरबार ..
तू भी बन्दिया मांग ले,बाबा हैं दातार !
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बोलो बोलो रे भक्तों बाबा भैया की जय ...
बाबा भैया की जय ...बाबा भैया की जय ...
ग्राम बीच अस्थान तुम्हारा,लiगे प्यारा प्यारा ,
जिसने तेरी टेर लगाई, तुमने पार उतारा ,
जैसे भी बाबा रखे तू उसी हाल में रह...
बोलो बोलो रे भक्तों बाबा भैया की जय ...
ज्योत जलाते दुध चढ़ाते शक्कर भोग लगाते ,
हे ग्राम देवता बाबा भैया पहले तुम्हें मनाते ,
जैसे मैंने कहा है प्यारे वैसे तू भी कह....
बोलो बोलो रे भक्तों बाबा भैया की जय ...
भक्तों के अपने बाबा जी, सारे कष्ट मिटाओ ,
दास खड़े है द्वार तुम्हारे आकर दरस दिखाओ ,
"कौशिक" को ना कोई चिंता और ना कोई भय...
बोलो बोलो रे भक्तों बाबा भैया की जय.....
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©मनोज कौशिक
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