गुज़शता ईद के कुछ नक्श अभी बाक़ी हैं
वो उज्ले उज्ले नये कपड़ों में मलबूस खुशी
वो शीर खुर्मा सी मीठी, वो नर्म गर्म हसीं
महकती सांसों में खुशबू सी वो रची मेंहदी
वो तेरी दीद के कुछ नक्श अभी बाक़ी हैं
गुज़शता ईद के कुछ नक्श अभी बाक़ी हैं
वो रंग व नूर में डूबे वो चंद हसीं लम्हे
वो साथ अपनों के गुज़रे वो दिल नशीं लम्हे
भुलाएं कैसे, भूल पाएंगे नहीं लम्हे
उस बज़्मे ईद के कुछ नक्श अभी बाक़ी है
गुज़शता ईद के कुछ नक्श अभी बाक़ी हैं
ख़ुदा करे कि इस साल भी वो ईद रहे
शराब ए शौक़ से आज़रदा दिल कशीद रहे
सलाम ए शौक़ तेरा, तू और तेरी दीद रहे
इसी उम्मीद के कुछ नक्श अभी बाकी है
गुज़शता ईद के कुछ नक्श अभी बाक़ी हैं
इम्तियाज़ ख़ान, पुणे
गुज़शता ईद= पिछली ईद, मलबूस = पहनी हुईं
आजरदा= उदास, कशीद = फिल्टर्ड
©imtiyaz khan
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