Bhushan

Bhushan

मेरी हस्ती मिटा पाना नहीं मुमकिन ज़माने को, भला कब लूट पाया है कोई खाली खज़ाने को, सुना है जबसे कि दरिया में मैं कश्ती उतारूंगा, खड़ा है सामने तूफान मुझको आजमाने को... वो आलम होश का हो या कि आलम बेखुदी का हो, तुम्हारे तीर से बेहद मोहब्बत है निशाने को...

  • Latest
  • Popular
  • Video

एक साया मेरा मसीहा था...@jaunalia @gazal @lekin

108 View

#शायरी #raatkibaat #jaunelia
#जॉन_एलिया #शायरी #Disappointments #jaunelia #shyari #gazal

180 View

#शायरी

डॉ. अंजुम बाराबंकवी

196 View

#शायरी

लेखक - डॉ. अंजुम बाराबंकवी

151 View

Trending Topic