गज़ल
उससे मिलने के पहले, मुझे उसके शहर जाना है,
मेरी मुहब्बत से मिलने, मुझे उसके घर जाना है।
हवा में खुशबू बसी है, तेरे नाम की अब तक ,
मुझे उस गली में, तेरी याद से भर जाना है।
हर इक मोड़ पर उसके क़दमों की आहट का,
चुपके से चाहत का पैग़ाम, हवा के सफ़र जाना है।
दुआओं में रोया, मोहब्बत में खोया, मगर फिर भी,
सपनों के क़ाबे में सजदा करूँ, मुझे तेरे दर जाना है।
उसके ख्वाबों में भटकते हुए शाम हो गई मेरी,
मगर हक़ीकत की राहों में मुझको ही बिखर जाना है।
चांद और सितारों से कहो झूठ, हमें नींद आ रही हैं,
सफ़र की इन राहगुज़रों में मुझे ही सफ़र जाना है।
मुहब्बत के रास्ते मुश्किल हैं तात्या लेकिन डरना नहीं,
यहाँ हर किसी को किसी रोज़ मिट्टी में भर जाना है।
नज़ारे सब देखते हैं, मगर वो दिखती नहीं,
किसी रोज़ तुझसे मिलने से पहले मर जाना है।
वो खुद भी सोया हैं बहुत, मेरी चाहतों के संग,
मगर हमें तो वफ़ा की, कसम खा के मर जाना है।
- संतोष तात्या
शोधार्थी
©tatya luciferin
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