फिर चली हवा जोर से, पेड़ हो गए जैसे नए कलियाँ शर्म से लाल हुईं, बादल हो गए गुम... हम चौखट पर खड़े-खड़े, रस्ता देखते रह गए न तो तुम्हारा खत आया.
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