April Fools
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#मूर्ख_दिवस जीवन के इस आपाधापी में हँसने-हँसाने के बहाने ढूढ़ती कड़ी मेहनत के इस युग में बैठ सुस्ताने के ठिकाने ढूंढती रिश्तों के रूठने-मनाने में दिवस के कई नजराने ढूढ़ती ऐसे ही एक रोज आया एक अप्रैल मस्ती मजाक का कर रहे थे सब खेल मेरे घर में रहते थे एक बड़े चाचा जी गुल व तम्बाकू से था उनका नाता जी रोज शाम वो दफ्तर से आकर ले जाते कुछ मुट्ठी में छुपा कर कई दिनों से हम रख रहे थे नजर पता करें क्या करतें हैं छुप छुप कर? वैसे तो मैं कभी करती न थी शरारत एक रोज छोटे चाचाजी की मिली संगत ढूढ़ निकाला हमने राज उनके मुठ्ठी का गुल की लत से उनकी हमेशा की छुट्टी का मूर्ख दिवस के दिन उनकी डिबिया हमने चुराई मिलते जुलते रंग की गंगा नदी की रेत ले आई गुल को फेंक उसमें गंगा नदी का हमने रेत भरा डिबिया रख आये वापस किसी को भी शक न हुआ रोजाना की आदत थी चाचाजी आये शाम को चाचाजी ने डिबिया चुराई चल दिये स्नान को पीछे-पीछे हमने भी चाल बढ़ाई छोड़ कर पढ़ाई जैसे ही डिबिया खुली,हथेलियों से मुख में घुली उनके मुख का भूगोल था बदला हमने नया इतिहास रच डाला था मूर्ख बनाने के फेहरिस्त में अपना भी नाम दर्ज करवाया। ©अलका मिश्रा ©alka mishra

#मूर्ख_दिवस #aprilfools  #मूर्ख_दिवस
जीवन के इस आपाधापी में
हँसने-हँसाने के बहाने ढूढ़ती
कड़ी मेहनत के इस युग में
बैठ सुस्ताने के ठिकाने ढूंढती
रिश्तों के रूठने-मनाने में
दिवस के कई नजराने ढूढ़ती
ऐसे ही एक रोज आया एक अप्रैल
मस्ती मजाक का कर रहे थे सब खेल 
मेरे घर में रहते थे एक बड़े चाचा जी
गुल व तम्बाकू से था उनका नाता जी
रोज शाम वो दफ्तर से आकर 
ले जाते कुछ मुट्ठी में छुपा कर
कई दिनों से हम रख रहे थे नजर
पता करें क्या करतें हैं छुप छुप कर?
वैसे तो मैं कभी करती न थी शरारत
एक रोज छोटे चाचाजी की मिली संगत
ढूढ़ निकाला हमने राज उनके मुठ्ठी का
गुल की लत से उनकी हमेशा की छुट्टी का
मूर्ख दिवस के दिन उनकी डिबिया हमने चुराई
मिलते जुलते रंग की गंगा नदी की रेत ले आई
गुल को फेंक उसमें गंगा नदी का हमने रेत भरा
डिबिया रख आये वापस किसी को भी शक न हुआ
रोजाना की आदत थी चाचाजी आये शाम को
चाचाजी ने डिबिया चुराई चल दिये स्नान को
पीछे-पीछे हमने भी चाल बढ़ाई छोड़ कर पढ़ाई
जैसे ही डिबिया खुली,हथेलियों से मुख में घुली
उनके मुख का भूगोल था बदला
हमने नया इतिहास रच डाला था
मूर्ख बनाने के फेहरिस्त में 
अपना भी नाम दर्ज करवाया।
©अलका मिश्रा

©alka mishra

April fool to hum bachpan m bne the lgta tha bde hokr apne hisab se zindagi jiyege..... 😅😅😅😅 ©Riya Mishra

#aprilfools  April fool to hum bachpan m bne the
lgta tha bde hokr apne hisab se zindagi jiyege.....
😅😅😅😅

©Riya Mishra

Not just a day of jokes and making one another laugh, but you must live each day by filling laughter in it till your stomach hurts laughing instead of worrying endlessly without any motive. You must smile and laugh instead of crying on things that don't matter. ©Niharika

#nojotoenglish #aprilfools #Quotes  Not just a day of jokes and making one another laugh, but you must live each day by filling laughter in it till your stomach hurts laughing instead of worrying endlessly without any motive. You must smile and laugh instead of crying on things that don't matter.

©Niharika

ਸਾਡੀ ਤਾਂ ਜਿੰਦਗੀ ਹੀ april fool ਬਣ ਗਈ ਏ ਸੱਜਣਾ। ©Amrit Pal Bhangu Bhangu

#ਸ਼ਾਇਰੀ #aprilfools  ਸਾਡੀ ਤਾਂ ਜਿੰਦਗੀ ਹੀ april fool ਬਣ ਗਈ ਏ ਸੱਜਣਾ।

©Amrit Pal Bhangu Bhangu

#मूर्ख_दिवस जीवन के इस आपाधापी में हँसने-हँसाने के बहाने ढूढ़ती कड़ी मेहनत के इस युग में बैठ सुस्ताने के ठिकाने ढूंढती रिश्तों के रूठने-मनाने में दिवस के कई नजराने ढूढ़ती ऐसे ही एक रोज आया एक अप्रैल मस्ती मजाक का कर रहे थे सब खेल मेरे घर में रहते थे एक बड़े चाचा जी गुल व तम्बाकू से था उनका नाता जी रोज शाम वो दफ्तर से आकर ले जाते कुछ मुट्ठी में छुपा कर कई दिनों से हम रख रहे थे नजर पता करें क्या करतें हैं छुप छुप कर? वैसे तो मैं कभी करती न थी शरारत एक रोज छोटे चाचाजी की मिली संगत ढूढ़ निकाला हमने राज उनके मुठ्ठी का गुल की लत से उनकी हमेशा की छुट्टी का मूर्ख दिवस के दिन उनकी डिबिया हमने चुराई मिलते जुलते रंग की गंगा नदी की रेत ले आई गुल को फेंक उसमें गंगा नदी का हमने रेत भरा डिबिया रख आये वापस किसी को भी शक न हुआ रोजाना की आदत थी चाचाजी आये शाम को चाचाजी ने डिबिया चुराई चल दिये स्नान को पीछे-पीछे हमने भी चाल बढ़ाई छोड़ कर पढ़ाई जैसे ही डिबिया खुली,हथेलियों से मुख में घुली उनके मुख का भूगोल था बदला हमने नया इतिहास रच डाला था मूर्ख बनाने के फेहरिस्त में अपना भी नाम दर्ज करवाया। ©अलका मिश्रा ©alka mishra

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जीवन के इस आपाधापी में
हँसने-हँसाने के बहाने ढूढ़ती
कड़ी मेहनत के इस युग में
बैठ सुस्ताने के ठिकाने ढूंढती
रिश्तों के रूठने-मनाने में
दिवस के कई नजराने ढूढ़ती
ऐसे ही एक रोज आया एक अप्रैल
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ले जाते कुछ मुट्ठी में छुपा कर
कई दिनों से हम रख रहे थे नजर
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वैसे तो मैं कभी करती न थी शरारत
एक रोज छोटे चाचाजी की मिली संगत
ढूढ़ निकाला हमने राज उनके मुठ्ठी का
गुल की लत से उनकी हमेशा की छुट्टी का
मूर्ख दिवस के दिन उनकी डिबिया हमने चुराई
मिलते जुलते रंग की गंगा नदी की रेत ले आई
गुल को फेंक उसमें गंगा नदी का हमने रेत भरा
डिबिया रख आये वापस किसी को भी शक न हुआ
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मूर्ख बनाने के फेहरिस्त में 
अपना भी नाम दर्ज करवाया।
©अलका मिश्रा

©alka mishra

are dekho tum gadhe ho dhayan se padne ke lie thank you 😅😅 ©Deepsingh Rajput

#कॉमेडी #AprilFoolsDay2021 #nojito #Funny #jokes  are dekho tum gadhe ho dhayan se padne ke lie thank you 😅😅

©Deepsingh Rajput
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