ए अजनबी ! ज़रा ठहर जा , हम पहले ही किसी के सताये हुए है ...... लौट जा तु वापस ! मरहम नहीं मैं तेरे दिल का , ये दिल पहले ही गहरे जख्म खाये हुए है ...... मुकम्म.
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