अनुयाई से नेतृत्व तक का सफर जिस देश ने किया है
आजादी के संघर्ष को... हर साँस में जिया है।
बदलाव आया जो अब उसकी वैश्विक भूमिका में.
पिछड़ा नहीं कहाता अब वो, विश्व का मुखिया है।
परचम उसकी बुलंदियों का जगत में फहरा रहा
आत्मनिर्भरता की ताकत से परिचय जो करा रहा ।
विकास के पथ पर अग्रसर है दिन दुगुना और रात चौगुना
उस देश का वासी होने पर हर नागरिक इतरा रहा ।
यकीनन यह विश्व में सबसे बड़ा गणतंत्र है
अपने विचार रखने को हर नागरिक स्वतंत्र है।
जनता का राज जनता के लिए होता है जनता द्वारा
विकासशील से विकसित बनने का यह मूल मंत्र है।
नए रूप में दुनिया के, समक्ष खड़ा है ये नया भारत
सबने जिसका लोहा माना, खुली बाँहों से करते स्वागत।
हर एक क्षेत्र में प्रतिभाओं ने,जग में अपना नाम किया
नतमस्तक हम देश के वासी, यही गर्व है यही इबादत।
मस्तक बनके खड़े हिमालय, अरावली और कंचनजंघा
चरण पखारे नित नित जिसके यमुना, कावेरी, गंगा।
स्वर्णिम इतिहास समेटे खुद में, महाशक्ति यह कहलाता
परचम बनकर आसमान में बनता इसकी शान तिरंगा।
©Anita Agarwal
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