बात थी मर्यादा की, बात थी आदर की,
बात थी जनम जनम के संस्कार की.
बात थी आज्ञा की,बात थी समर्पण की,
बात थी अवध राजा दशरथ के वचन की.
बात थी अध्यात्म की,बात थी कर्त्तव्य की,
बात थी जनकपुत्री सीता के पतिधर्म की.
बात थी लगन की,बात थी भ्रातृत्व की,
बात थी शेषनाग स्वरुप लक्ष्मण के बलिदान की.
बात थी प्रतीक्षा की,बात थी उम्मीद की,
बात थी शबरी के मीठे बेर सी रही भक्ति की.
बात थी सुग्रीव की,बात थी जटायु की,
बात थी शिवावतार हनुमान की मित्रता की.
बात थी असुरों की,बात थी छल की,
बात थी विद्वान दशानंद के अभिमान की.
बात थी वाल्मीकि की,बात थी तुलसीदास की,
बात थी विष्णु लक्ष्मी के सातवें अवतार राम और सीता की.
बात थी त्रेता की,बात थी सनातन धर्म की,
बात थी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र की.
©Megha Patel
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