Tum Ghazal Ban gayi ~~~~~~~~~~~~~ग़ज़ल~~~~~~~~~~~~~~
गेहूँ के साथ-साथ घुन भी पिसता नहीं है क्या?
मुझमें कमी है पर खुद में दिखता नहीं है क्या?
ईमानदारी तो कहने के लिए आज भी व्याप्त है,
पर पैसे की बात पर इमान बिकता नहीं है क्या?
गरीब होकर गरीबी से लड़े या दबंगई की चोट से,
दबंगों की दबंगई से गरीब पिटता नहीं है क्या?
माना तेरे नाम पर हर केस की फाइल भरी है,
तुम घूस देकर देख लो केस मिटता नहीं है क्या?
'देव' तुम्हारी हर बात में इक कड़वी सी सच्चाई है,
कलम तो आखिर कलम है सच लिखता नहीं है क्या?
-देव फैज़ाबादी
02/03/21
©Dev Faizabadi 💎
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