Love Letter चेहरों पे मरना,
गहनों को चाहना,
प्रेम की अभिलाषा नही होती।
सपनों को छलना,
बातों से ठगना,
प्रेम की ऐसी भाषा नही होती।
बागों में घूमना,
जहाजों में उड़ना,
प्रेम की ऐसी आशा नही होती।
सिर्फ फूल लेना,
और फूल देना,
प्रेम की परिभाषा नही होती।
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प्रेम तो है-
दो मनों का मनपसंद मिलन सुहाना,
प्रेम तो है-
सिया के लिए राम का रावण से लड़ जाना,
प्रेम तो है-
राधा का श्याम के लिए जीवन खपाना,
प्रेम तो है-
पार्वती का महायोगी संग विवाह रचाना,
प्रेम तो है-
लाख खामियों के बाद भी प्रेम जताना,
प्रेम तो है-
लाख खामियों के बाद भी प्रेम निभाना।
कवि आनंद दाधीच। भारत।
©Anand Dadhich
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