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सफ़र नहीं आसान ये,लगता मुझको आज।। कांटे बिछा रहा यहां,देखो सभ्य समाज।। ©Dr Nutan Sharma Naval

#Motivational #dohapoetry  सफ़र नहीं आसान ये,लगता मुझको आज।।
कांटे बिछा रहा यहां,देखो सभ्य समाज।।

©Dr Nutan Sharma Naval

#dohapoetry# motivational thoughts in hindi# best motivational thoughts

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#विचार  राजनीति में नेता का यही वसूल पहले तो ये भीख मांगते फिर हमसे मंगवाते हैं,अभागी जनता को अंगुलियों तले नचाते है,बात न माने तो चमड़े का चाबुक चलाते हैं। पहले जनता सोती है फिर बाद में अक्सर रोती है।

©Satish Kumar Meena

राजनीति

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मिल जुलकर सब रहें यहां , ऐसा निज़ाम हो आपस में लड़ झगड़कर , कब तक जिएंगे हम । ©सलीम ख़ान

#मेरी_कलम_से #शायरी  मिल जुलकर सब रहें यहां , ऐसा निज़ाम हो 
आपस में लड़ झगड़कर , कब तक जिएंगे हम ।

©सलीम ख़ान

तुम से तो गरीबी ये मिटाई ना जाएगी बेहतर तो यही है के गरीबों को मिटा दो ©Gazal

#तुमसे #शायरी #गरीबी  तुम से तो गरीबी ये मिटाई ना जाएगी
बेहतर तो यही है के गरीबों को मिटा दो

©Gazal

#गरीबी #तुमसे शायरी हिंदी शायरी हिंदी में शेरो शायरी @Radhey Ray @Ayesha Aarya Singh @Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) @poet ziya ansari दीपबोधि

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औरत सियासत संभाल नहीं सकती या उन्हें सियासत संभालने दिया ही नहीं जाता? 8/8/24 ⏰10:41 a. m. (Ubaida Khatoon S S) ✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui

#विचार #Ubaidakhatoon #ubaidawrites  औरत सियासत संभाल नहीं सकती 
या 
उन्हें सियासत संभालने दिया ही नहीं जाता? 
8/8/24
⏰10:41 a. m. 
(Ubaida Khatoon S S) ✍️

©Ubaida khatoon Siddiqui

#Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts

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वैचारिक जंग से हर दिन टकराता हूं अंदर- बाहर, अपना- पराया सब से उलझता हूं पढ़ा हूं ,जाना हूं ,हकीकत समझता हूं भीड़ में भी सच कहने की ताकत रखता हूं हां मैं हर दिन लोंगो से उलझता हूं वर्षो की विरासत पर प्रश्न चिंह लगता हूं धार्मिकता की मानसिक गुलामी , आडंबरवाद ,ब्राह्मणवाद , पतृसत्तावाद और वंशवाद को धिक्कारता हूं हां मैं मानने से पहले जानना चाहता हूं जोकि बनी बनाई व्यवस्था सच बताने से कतराता है वह नही चाहता कि उसका एकाधिकार छीना जाए जो हुआ सो हुआ आगे के लिए सकारात्मक बदलाव किया जाए लोगों को भेड़ चाल आसान जान पड़ता हैं हकीकत की राह उसे मुश्किल नजर आता हैं मैं मुश्किल में पड़ वैचारिक बदलाव चाहता हूं लोग हकीकत को समझे मैं वो व्यवहार देखना चाहता हूं । ©Arun kr.

#विचार  वैचारिक जंग से हर दिन टकराता  हूं
अंदर- बाहर, अपना- पराया सब से उलझता हूं
पढ़ा हूं ,जाना हूं ,हकीकत समझता हूं
भीड़ में भी सच कहने की ताकत रखता हूं 
हां मैं हर दिन लोंगो से उलझता हूं
वर्षो की विरासत पर  प्रश्न चिंह लगता हूं
धार्मिकता की मानसिक गुलामी , आडंबरवाद ,ब्राह्मणवाद , पतृसत्तावाद और वंशवाद को धिक्कारता हूं
हां मैं मानने से पहले जानना चाहता हूं
जोकि बनी बनाई व्यवस्था सच बताने से कतराता है
वह नही चाहता कि उसका एकाधिकार छीना जाए
जो हुआ सो  हुआ आगे के लिए सकारात्मक बदलाव किया जाए
लोगों को भेड़ चाल आसान जान पड़ता हैं
हकीकत की राह उसे मुश्किल नजर आता हैं
मैं मुश्किल में पड़ वैचारिक बदलाव चाहता हूं
लोग हकीकत को समझे मैं वो व्यवहार देखना चाहता हूं ।

©Arun kr.

वैचारिक जंग से हर दिन टकराता हूं अंदर- बाहर, अपना- पराया सब से उलझता हूं पढ़ा हूं ,जाना हूं ,हकीकत समझता हूं भीड़ में भी सच कहने की ताकत रखता हूं हां मैं हर दिन लोंगो से उलझता हूं वर्षो की विरासत पर प्रश्न चिंह लगता हूं धार्मिकता की मानसिक गुलामी , आडंबरवाद ,ब्राह्मणवाद , पतृसत्तावाद और वंशवाद को धिक्कारता हूं हां मैं मानने से पहले जानना चाहता हूं जोकि बनी बनाई व्यवस्था सच बताने से कतराता है वह नही चाहता कि उसका एकाधिकार छीना जाए जो हुआ सो हुआ आगे के लिए सकारात्मक बदलाव किया जाए लोगों को भेड़ चाल आसान जान पड़ता हैं हकीकत की राह उसे मुश्किल नजर आता हैं मैं मुश्किल में पड़ वैचारिक बदलाव चाहता हूं लोग हकीकत को समझे मैं वो व्यवहार देखना चाहता हूं । ©Arun kr.

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