Yaadein
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You remember those days when, यूँ तो कोई कहाँ किसी का होता है मगर एक सच्चा दोस्त जुबाँ पर होता हैं पता ही नहीं चलता उसके साथ में वक्त कैसे गुजर जाता हैं मिल जाते है बहुत आने जाने वाले पर तेरा आना तेरे जाने पर भारी पड़ जाता हैं तेरी यादों के सहारे जीना सीखा हैं दोस्त जितना तु समझता है ऊतना कोई कहाँ समझ पाता हैं..।। ©Sandeep Bishnoi

#puraniyaadein  You remember those days when, यूँ तो कोई कहाँ किसी का होता है
मगर एक सच्चा दोस्त जुबाँ पर होता हैं
पता ही नहीं चलता उसके साथ में वक्त कैसे गुजर जाता हैं
मिल जाते है बहुत आने जाने वाले
पर तेरा आना तेरे जाने पर भारी पड़ जाता हैं
तेरी यादों के सहारे जीना सीखा हैं दोस्त
जितना तु समझता है ऊतना कोई कहाँ समझ पाता हैं..।।

©Sandeep Bishnoi

You remember those days when, एक लंबा इंतजार, मिलने का उस दोस्त से, जो आखरी बेंच पर साथ बैठता था हरदम। मिलोगे क्या अब तुम? जिंदगी की आखिरी सांसे  रह गई हो जब। .… कभी कहा था तुमने मिलूंगा जब तुम और मैं , होंगे बूढ़े करेंगे, ढेर सी बाते आख़री बेंच पर बैठ कर करते थे जैसे, थोड़ी हँसी, थोड़ी खुशी, साथ ही थोड़ा गम भी तो रहेगा, कि क्यूँ न मिले बीच मे खो गए थे जिंदगी की आपाधापी में, जद्दोजहद ओर कही पैसे कमाने की होड़ में, दूर हो गए थे उस खुशी से, जो आखिरी बेंच पर बतियाने से मिलती थी। मिलोगे न जिंदगी की आखिरी सालो में, करने को बातें जैसे करते थे आखिरी बेंच पे......

#puraniyaadein #बात  You remember those days when, एक लंबा इंतजार,
मिलने का उस दोस्त से,
जो आखरी बेंच पर साथ बैठता था हरदम।
मिलोगे क्या अब तुम?
जिंदगी की आखिरी सांसे  रह गई हो जब।
.… कभी कहा था तुमने
मिलूंगा जब तुम और मैं , होंगे बूढ़े
करेंगे, ढेर सी बाते
आख़री बेंच पर बैठ कर करते थे जैसे,
थोड़ी हँसी, थोड़ी खुशी,
साथ ही थोड़ा गम भी तो रहेगा,
कि क्यूँ न मिले बीच मे
खो गए थे जिंदगी की आपाधापी में,
जद्दोजहद ओर कही पैसे कमाने की होड़ में,
दूर हो गए थे उस खुशी से,
जो आखिरी बेंच पर बतियाने से मिलती थी।
मिलोगे न जिंदगी की आखिरी सालो में,
करने को बातें जैसे करते थे आखिरी बेंच पे......

एक लंबा इंतजार #puraniyaadein

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You remember those days when, अकड़ हिंदी का एक ऐसा शब्द है। जिसमें कोई भी मात्रा नहीं है। पर वह हर इंसानों के अंदर, किसी न किसी मात्रा में मौजूद अवश्य है। .....,(गांधीजी) ©vikash Agarwal

#puraniyaadein  You remember those days when, अकड़ हिंदी का एक ऐसा शब्द है। जिसमें कोई भी मात्रा नहीं है। पर वह हर इंसानों के अंदर, किसी न किसी मात्रा में मौजूद अवश्य है। .....,(गांधीजी)

©vikash Agarwal

अकड़। #puraniyaadein

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You remember those days when, apne tu Sharif 3 jigri yaar hai 1 armaan sikdar 2 Aman solanki 3 Vishal meena next target deelip bhai ©commissioner shoaib

#विचार #puraniyaadein  You remember those days when, apne tu Sharif 3 jigri yaar hai  1 armaan sikdar 2 Aman solanki 3 Vishal meena next target deelip bhai

©commissioner shoaib

You remember those days when, last of your past life.. ©Lakumikanda Mukunda

#puraniyaadein #day  You remember those days when, last of your past life..

©Lakumikanda Mukunda

You remember those days when, वो दिन भी क्या दिन थे, जब साथ मे दोस्तों के साथ पढ़ने जाते थे, जब साथ में दोस्तों के साथ पिकनिक जाते थे, जब साथ मे दोस्तों के साथ मूवीज जाते थे, पढ़ते थे, पढ़ाते थे, खेलते थे, और कभी कभी रूठ जाते थे, वो बचपन से लेकर जवानी के दिन थे, न किसी, पढ़ाई की टेंशन, न ही एग्जाम की, बस फ़िक्र थी कि कैसे पढ़ाई खत्म हो, और बड़े होकर पैसे कमाये, और जब कमाने लगे तब समझ आया कि, तब महसुस हुआ कि इससे बेहतर तो, हमारे बचपन ही थे, सच में वो दिन भी क्या दिन थे! ©Hrishi Vishal 007

#Life_experience #puraniyaadein  You remember those days when, वो दिन भी क्या दिन थे,
जब साथ मे दोस्तों के साथ पढ़ने जाते थे,
जब साथ में दोस्तों के साथ पिकनिक जाते थे,
जब साथ मे दोस्तों के साथ मूवीज जाते थे,
पढ़ते थे, पढ़ाते थे, खेलते थे, और 
कभी कभी रूठ जाते थे,
वो बचपन से लेकर जवानी के दिन थे,
न किसी, पढ़ाई की टेंशन, न ही एग्जाम की,
बस फ़िक्र थी कि कैसे पढ़ाई खत्म हो,
और बड़े होकर पैसे कमाये,
और जब कमाने लगे तब समझ आया कि,
तब महसुस हुआ कि इससे बेहतर तो,
हमारे बचपन ही थे,
सच में वो दिन भी क्या दिन थे!

©Hrishi Vishal 007

वो दिन भी क्या दिन थे... #puraniyaadein

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