You remember those days when, एक लंबा इंतजार,
मिलने का उस दोस्त से,
जो आखरी बेंच पर साथ बैठता था हरदम।
मिलोगे क्या अब तुम?
जिंदगी की आखिरी सांसे रह गई हो जब।
.… कभी कहा था तुमने
मिलूंगा जब तुम और मैं , होंगे बूढ़े
करेंगे, ढेर सी बाते
आख़री बेंच पर बैठ कर करते थे जैसे,
थोड़ी हँसी, थोड़ी खुशी,
साथ ही थोड़ा गम भी तो रहेगा,
कि क्यूँ न मिले बीच मे
खो गए थे जिंदगी की आपाधापी में,
जद्दोजहद ओर कही पैसे कमाने की होड़ में,
दूर हो गए थे उस खुशी से,
जो आखिरी बेंच पर बतियाने से मिलती थी।
मिलोगे न जिंदगी की आखिरी सालो में,
करने को बातें जैसे करते थे आखिरी बेंच पे......
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