लाश बनकर रह गये तलाश फूलों की थी काँटे मिलें। खुशियाँ सभी ने छीन लीं दर्दो गम किसी ने बाँटे नहीं। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव,कानपुर। शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी.
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