तुमको भूल न पायेंगे भले ही खुद से दूर हो जायेंगे।
तुम गर साथ नहीं दोगे तो तुम बिन जी न पायेंगे मरने को मजबूर हो जायेंगें।
शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर।
हट ही जायेंगे तम तमिस अंधेरे।
चले जायेंगे चक्रवातों के घेरे।
ठंडी हवाओं का झोका आयेगा।
आपनों का साथ जब भी मिलेगा न रह पायेंगे खल धूर्त दुर्जन दुष्ट ऐरे गैरे।
शायर:-शैलेन्द्र सिंह यादव,कानपुर।
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