कईं बार बुआ सा और फिर जला मैं हर बार रोशनी बढ़ती गई अंधेरा मिटाने की जीद ने बुझने न दिया और जब जब दिखा रास्ता उजाले में मेरी जीत हर दिन निखरती गई.
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